जादू भरे नयन और मधुरी मुस्कान
बनाने वालेने मिलाई और हुई पहचान
कैसे बताउं क्यों कैसे मुझे वो भाई
“मम्माजी” कहा और मैंने जान लुटाई
प्यारसे मिलना अपना दिल खोलना
चूपकेसे आके मेरे दिलको टटोलना
कितने सालोंकी प्यास एक बेटीका होना
बनी त्रुप्त पाके एक सुहानी हुई रैना
भोली भाली चंचल पटर पटर करती
कानोंमे आके मीठे चुटकुले सुनाती
रितिका नाम उसका, दिल्ली धाम उसका
दिल चुराना काम उसका सुहाना अंजाम उसका
पिछले साल नवरात्रीकी आठम के दिन ये बडी
प्यारी लडकी मुझे मिली थी. मम्माजी कहकर मुझे
प्यार और सम्मान दीया था. बेटी न होनेकी कमी
पूरी की थी.