Archive for September 25th, 2009

रितिका

September 25th, 2009

 

  जादू भरे नयन और मधुरी मुस्कान

बनाने वालेने मिलाई और हुई पहचान

कैसे बताउं क्यों कैसे मुझे  वो  भाई

“मम्माजी” कहा और मैंने जान लुटाई

प्यारसे मिलना अपना दिल खोलना

चूपकेसे आके मेरे दिलको टटोलना

कितने सालोंकी प्यास एक बेटीका होना

बनी त्रुप्त पाके एक सुहानी  हुई  रैना

भोली भाली चंचल पटर पटर करती

कानोंमे आके मीठे चुटकुले सुनाती

रितिका नाम उसका, दिल्ली धाम उसका

दिल चुराना काम उसका सुहाना अंजाम उसका

  

 

पिछले साल नवरात्रीकी आठम के दिन ये बडी

प्यारी लडकी मुझे मिली थी. मम्माजी कहकर मुझे

प्यार और सम्मान दीया था. बेटी न होनेकी कमी

पूरी की थी.

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