१५ अगस्त, २००९

August 14th, 2009 by pravinash Leave a reply »

मेरे भारत तुजे प्रणाम

तेरे गाउं मैं गुणगान

तुझसे बिछडी हुं हैरान

तनसे निकले मेरी जान

मिट्टी तेरी ऐसी सुहानी

गंगाजलकी बात निराली

गाए मोर पपीहे गान

तेरे गाउं मैं गुणगान

विवेकानंदकी हो गर्जना

रामक्रष्णको हो वंदना

प्यारे बापु तुझे प्रणाम

तेरे गाउं मैं गुणगान

वेद उपनिषद जहां निखरे है

गीता गान हरदम गुंजे है

तुलसी रामायण है महान

तेरे गाउं मैं गुणगान

२१वी सदी मैं कमाल तेरा

सदीओ पुराना नाम है तेरा

गर्वसे उंची तेरी शान

त्रिरंगा लहराए आसमान

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1 comment

  1. सभी भारतसे बिछड कर हैरान है. बढिया गीत. सुंदर भाव.

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